वाराणसी | आज दिनांक 03 फरवरी 2023 दिन शुक्रवार को रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर, सिगरा में आयोजित पत्रकार वार्ता में सुविख्यात कथावाचक आनंदमूर्ति गुरुमां ने काशी में आयोजित ज्ञान, भक्ति और योग की अमृत वर्षा एवं काशी के महात्म्य की चर्चा की.
आनंदमूर्ति गुरुमां ने काशी के महात्म्य की चर्चा करते हुए कहा कि विश्व के सर्वाधिक प्राचीन ग्रन्थ ऋग्वेद में काशी का उल्लेख मिलता है. काशी शिव के त्रिशूल पर विराजित है. काशी ब्रह्मा द्वारा अध्यासित, सदासेवित और रक्षित है.
काशी सदैव अध्यात्म, संस्कृति और शिक्षा का केंद्र रही है. भगवान बुद्ध को ज्ञान तो बोध गया में मिला, पर धर्म चक्र प्रवर्तन के लिए वह ज्ञान और अध्यात्म के केन्द्र काशी के पास ऋषि पत्तन (सारनाथ) आते हैं.
वेदांत के सबसे बड़े प्रवक्ता आदिगुरु शंकराचार्य केरल प्रदेश के कालड़ी नामक स्थान से काशी आते हैं. महान संत नानक काशी आते हैं.
काशी में कबीर के स्वर में निर्गुण की गूंज होती है, तो राम कथा के माध्यम से तुलसी सगुण और निर्गुण के बीच समन्वय स्थापित करने का काम करते हैं. जिसे काशी ने स्वीकार किया, उसे संसार ने स्वीकार किया.
ऐसी अति वैशिष्ट्य काशी में ज्ञान, भक्ति और योग की अमृतवर्षा के माध्यम से लोक-कल्याण के लक्ष्य की प्राप्ति ही हमारा ध्येय और उद्देश्य है. पत्रकार वार्ता में मुख्य रूप से महात्मा हरिमिलन, ज्योत्सना गुप्ता अर्पित शिद्धोरे आदि लोग शामिल थे |
फोटो:वीडियो: अशोक पाण्डेय (उत्तम सवेरा न्यूज़, मीडिया प्रभारी, उत्तर प्रदेश)