मुंबई. बॉलीवुड के “ही-मैन” के नाम से मशहूर दिग्गज अभिनेता धर्मेंद्र अब इस दुनिया में नहीं रहे. सोमवार, 24 नवंबर को मुंबई में 89 साल की उम्र में उनका निधन हो गया. सांस लेने में तकलीफ की शिकायत के बाद दिग्गज अभिनेता को ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, उनकी हालत गंभीर थी और उन्हें लाइफ सपोर्टिंग सिस्टम पर रखा गया था. धर्मेंद्र के निधन की खबर से फिल्म इंडस्ट्री में शोक की लहर दौड़ गई है.
न्यूज एजेंसी IANS के अनुसार 89 साल के धर्मेन्द्र ने सोमवार दोपहर करीब 1 बजे अंतिम सांस ली.
फैंस, साथी कलाकारों और फिल्म जगत की ओर से उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की जा रही है, जो उन्हें न केवल एक महान अभिनेता के रूप में याद करते हैं, बल्कि कई लोगों के लिए प्रेरणा भी हैं. उनके परिवार में उनकी पत्नियां हेमा मालिनी और प्रकाश कौर, और उनके बच्चे सनी देओल, बॉबी देओल, विजेता, अजीता, ईशा देओल और अहाना देओल हैं.
उनका अंतिम संस्कार विले पार्ले श्मशान भूमि में हो रहा है, जिसमें अमिताभ बच्चन, आमिर खान समेत कई सेलेब्स पहुंच रहे हैं.
धर्मेंद्र का छह दशकों का करियर रहा शानदार
छह दशकों से अधिक के करियर के साथ, धर्मेंद्र भारतीय सिनेमा के सबसे फेमस अभिनेताओं में से एक थे. उन्होंने 1960 में दिल भी तेरा हम भी तेरे से अपनी शुरुआत की और 300 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया, हिंदी सिनेमा में सबसे अधिक हिट फिल्मों में अभिनय करने का रिकॉर्ड बनाया.
धर्मेंद्र का जन्म 8 दिसंबर, 1935 को पंजाब के लुधियाना जिले के एक गांव नसराली में हुआ था. हालाँकि उन्होंने 1960 में अपनी शुरुआत की, लेकिन उन्हें सफलता 1966 की फिल्म फूल और पत्थर से मिली, जिसमें उन्होंने मीना कुमारी के साथ अभिनय किया था. यह फिल्म बहुत बड़ी हिट रही थी, और इसने धर्मेंद्र को स्टारडम की बुलंदियों पर पहुंचा दिया था. इन सालों में, धर्मेंद्र की फिल्मोग्राफी में शोले, राजा जानी, सीता और गीता, कहानी किस्मत की, यादों की बारात, चरस, आजाद और दिल्लगी जैसी प्रतिष्ठित ब्लॉकबस्टर फिल्में शामिल हो गईं, जो एक अभिनेता के रूप में उनकी रेंज और बहुमुखी प्रतिभा को प्रदर्शित करती हैं.
राजनीति में भी सक्रिय थे धर्मेंद्र
धर्मेंद्र ने जब राजनीति में कदम रखा था तो बीजेपी ने भी इसे एक मास्टर स्ट्रोक माना था. बड़े स्टार, जनता में अपार लोकप्रियता और राजस्थान के मरुधर इलाके में उनकी फिल्मों की भारी फैन फॉलोइंग को देखते हुए धर्मेंद्र को बीकानेर से उतारना पार्टी की रणनीति का अहम हिस्सा था.
साल 2004 का चुनाव बीकानेर में खास था. लोग पहली बार अपने बीच एक सुपरस्टार को उम्मीदवार के रूप में देख रहे थे. सभाओं में भारी भीड़ उमड़ती थी, पोस्टर और कटआउट फिल्मों के पोस्टर जैसे दिखते थे और प्रचार के दौरान उनके डायलॉग तक सुनने को मिलते थे.
धर्मेंद्र ने कांग्रेस के कद्दावर नेता रामेश्वर लाल डूडी को 60 हजार से ज्यादा वोटों से हराया. कहा जाता है कि धर्मेंद्र के लिए उनके पूरे परिवार- हेमा मालिनी से लेकर सनी देओल तक ने प्रचार में पूरी ताकत झोंक दी थी.
दिल्ली की राजनीति ने कर दिया निराश
धर्मेंद्र जीते, लोकसभा पहुंचे. लेकिन लोकसभा पहुंचने के बाद तस्वीर बदलने लगी. धर्मेंद्र को महसूस हुआ कि संसद में काम करने के लिए सिर्फ लोकप्रियता काफी नहीं. राजनीति की अंदरूनी खींचतान, दिल्ली की जटिल व्यवस्था और फाइलों की दुनिया उन्हें सहज नहीं लगी. बीकानेर की जनता को भी यह बात अखरने लगी कि उनका सांसद ज्यादातर समय मुंबई में रहता है. धीरे-धीरे नाराजगी खुलकर सामने आने लगी.
