काशी के देवालय में बेटियों ने चलाया अनोखा अभियान

Uttam Savera News
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वाराणसी। शहर को काशी के नाम से भी जाना जाता है, गंगा किनारे स्थित बाबा भोलेनाथ ही यह नगरी दुनिया भर में काशी नाम से भी विख्यात है। लोग यहां पवित्र गंगा में डुबकी लगाने आते हैं। ऐसा माना जाता है कि यहां डुबकी लगाने से सारे पाप और कष्ट नष्ट हो जाते हैं। इसके साथ ही यहां मृत्यु प्राप्त होने और अंतिम संस्कार होने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है।

वाराणसी हिंदू धर्म के साथ-साथ बौद्ध और जैन धर्म के लोगों के लिए भी एक प्रमुख केंद्र रहा है। यह प्राचीन काल से ही शिक्षा, धर्म, दर्शन, योग, आयुर्वेद, ज्योतिष, गीत-संगीत, कला-साहित्य और आध्यात्मिकता का केंद्र रहा है। वाराणसी के ही पास सारनाथ में भगवान बुद्ध ने अपना पहला उपदेश दिया था। इसके साथ ही यह चार जैन तीर्थंकरों की जन्मस्थली भी है

काशी की यात्रा करना एक अद्वितीय अनुभव है, जहाँ आप प्राचीन इतिहास, संस्कृति, और आध्यात्मिकता का अनुभव कर सकते हैं। तो वही दूसरी तरफ आधुनिकता की दौड़ में समय के अभाव को देखते हुए मंदिर, देवालय आदि स्थानों पर लोगों के आ-जाना कम हो गया, युवाओं में पश्चिमी सभ्यता को अपना आइडल बन चुके हैं। ऐसे काशी में संकट मोचन मंदिर के पास दो बेटियां श्रीमद् भागवत गीता का प्रचार प्रसार करते हुए दिखाई दी – उन्होंने बताया कि एक तरफ नए वर्ष या छुट्टियों में लोक मंदिरों में जाना कम कर दिए हैं पश्चिमी सभ्यता को देखते हुए लोग मॉल, डोमिनोज, और मल्टीप्लेक्स में जाना पसंद करते हैं। जिस धर्म की राजधानी यानी कि काशी में लोग मोक्ष प्राप्त, प्रभु के दर्शन-पूजन करने अपने पवित्रता के साथ आते हैं। ऐसे में युवाओं में बढ़ रहे नशे की लत और पश्चिमी सभ्यता को अपना आइडल मान चुके हैं

भगवद्गीता महाभारत के एक पवित्र ग्रंथ है, जो भगवान श्रीकृष्ण और अर्जुन के बीच कुरुक्षेत्र के युद्ध के मैदान में हुआ संवाद है। इसमें जीवन के गहरे आध्यात्मिक और नैतिक सिद्धांत बताए गए हैं। भगवद्गीता के 18 अध्यायों और 700 श्लोकों में कर्म, भक्ति, और ज्ञान का गहन विवरण मिलता है। श्रीकृष्ण अर्जुन को सिखाते हैं कि मनुष्य को अपने कर्तव्य का पालन करते हुए निष्काम भाव से कर्म करना चाहिए और फल की चिंता नहीं करनी चाहिए। गीता में आत्मा और शरीर का अंतर, जीवन का उद्देश्य, और मोक्ष का मार्ग समझाया गया है। यह ग्रंथ मानव जीवन के हर पहलू को छूता है और हमें संघर्षों में धैर्य और सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। भगवद्गीता न केवल एक धार्मिक ग्रंथ है, बल्कि यह जीवन जीने की कला भी सिखाती है।

श्रीमद् भागवत गीता का प्रचार प्रसार करने वाली दो बेटियों ने बताया कि हम लोग श्रीमद् भागवत गीता का प्रचार इसलिए कर रहे हैं कि लोग अध्यात्म और भक्ति के मार्ग पर वापस लौट सके और मंदिरों में जाना पसंद करें आपको बता दें श्रीमद् भागवत गीता जो हम आमजन मानस को देते हैं इसका कोई व्यक्तिगत लाभ नहीं लेते हैं आज भी जिस प्राइस में श्रीमद् भागवत गीता मिलती है हमारा मकसद है ज्यादा से ज्यादा धर्म का प्रचार प्रसार किया जा सके। आम जनमानस ने भी बढ़-चढ़कर इसमें हिस्सा लिया जो तस्वीरों के माध्यम से हम आपको दिख रहे हैं

बता दें कि अगस्त को बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हुई हिंसा ने सारी दुनिया का अपना ध्यान अपनी ओर खींचा. ब्रिटेन से कनाडा तक प्रदर्शन हुए. बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों का मुद्दा सुर्खियों में आया. और बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने अपनी गलती मान ली. जिसके बाद बांग्लादेश सरकार ने अपनी गलती कबूल करते हुए अपने यहां हिंदुओं को सुरक्षा देने की बात कही

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