राष्ट्रपति मुर्मू ने राज्यसभा के लिए 4 सदस्यों को किया मनोनीत ,इसमें कसाब को फांसी तक पहुंचाने वाले वकील का भी नाम

Shwetabh Singh
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नई दिल्ली. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संविधान के अनुच्छेद 80(1)(A) के तहत मिली अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए राज्यसभा के लिए 4 सदस्यों को मनोनीत कर दिया है. मनोनीत किए गए सदस्यों में जाने-माने सरकारी वकील उज्ज्वल देवराव निकम, केरल के वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता और शिक्षाविद् सी. सदानंदन मस्ते, पूर्व विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला और प्रसिद्ध इतिहासकार एवं शिक्षाविद् मीनाक्षी जैन शामिल हैं. ये सदस्य अगले छह साल तक राज्यसभा के सांसद के रूप में अपनी सेवाएं देंगे.

 

राज्यसभा सांसद मनोनीत किए जाने

भारतीय संविधान के अनुसार, राष्ट्रपति को कला, विज्ञान, साहित्य और सामाजिक सेवा जैसे क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान देने वाले 12 सदस्यों को राज्यसभा के लिए मनोनीत करने का अधिकार है. यह मनोनयन राज्यसभा में विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों और अनुभवी व्यक्तियों की भागीदारी सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.

राज्यसभा सांसद को कितना  मिलता  है वेतन और कौनसी सुविधाएं

संविधान के अनुसार, संसद सदस्य अधिनियम 1954 के तहत राज्यसभा सांसदों के वेतन, भत्ते और पेंशन का प्रावधान किया गया है. 1 अप्रैल 2023 को हुए संशोधन के अनुसार, राज्यसभा सांसद को वेतन और भत्ते मिलाकर 254000 रुपये प्रतिमाह मिलते हैं इनमें एक लाख 24 हजार रुपये प्रतिमाह सैलरी मिलती है. संसद सत्र के मौजूद रहने पर प्रतिदिन 2500 रुपये भत्ता मिलता है. उनके निर्वाचन क्षेत्र के लिए 70000 प्रतिमाह सैलरी मिलती है. ऑफिस के लिए हर महीने 60000 रुपये का भत्ता मिलता है. इसके अलावा राज्ससभा सांसद को दिल्ली में रहने के लिए सरकारी आवास मिलता है. केंद्र सरकार के ग्रेड-1 अफसर के बराबर निशुल्क स्वास्थ्य सुविधाएं मिलती हैं। फर्स्ट क्लास AC ट्रेन में सफर करने के लिए पास मिलता है. हवाई यात्रा करने के लिए टिकटर पर 25% की छूट मिलती है. हर साल 50000 यूनिट बिजली और 4000 किलोलीटर पानी निशुल्क इस्तेमाल करने के लिए मिलता है.

 

क्या  होती है राज्यसभा सांसद की शक्तियां

 

संविधान के अनुसार, संसद के उच्च सदन राज्यसभा के सांसद को विधायी, वित्तीय और विचार-विमर्श करने की प्राप्त हैं. राज्यसभा सांसद राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के प्रतिनिधि होते हैं. राज्यसभा सांसद संविधान संशोधन विधेयकों, सामान्य बिलों पर विचार विमर्श करने और उन्हें पारित कराने में भूमिका निभाते हैं. किसी बिल को पारित कराने के लिए सांसदों की सहमति अनिवार्य होती है. राज्यसभा सांसदों को मनी बिल पर सुझाव देने का अधिकार है. बजट और वित्तीय नीतियों पर विचार-विमर्श करने का अधिकार है. राज्यसभा सांसद को मंत्रियों से प्रश्न पूछने का अधिकार है. स्थगन या ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पेश करके सरकार की नीतियों और कार्यों की समीक्षा करने का अधिकार हैं.

वित्त समिति, याचिका समिति जरिए सरकार के कामकाज की निगरानी करने का अधिकार है. त्व

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