क्यों खास है अक्षय तृतीया? जानिए इसका पौराणिक महत्व और पूजा के नियम

सनातन धर्म में अक्षय तृतीया को अत्यंत पुण्यदायी और शुभ तिथि माना गया है।

Shwetabh Singh
Shwetabh Singh
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नातन धर्म में अक्षय तृतीया को अत्यंत पुण्यदायी और शुभ तिथि माना गया है। यह वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया को आती है और इसे ऐसा अबूझ मुहूर्त माना जाता है, जिसमें बिना किसी विशेष गणना के विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन, यज्ञोपवीत जैसे कार्य किए जा सकते हैं। शास्त्रों में कहा गया है कि इस दिन किया गया जप, तप, दान और पूजन अक्षय फल देने वाला होता है।

इसलिए होता है यह दिन खास

इस दिन का पौराणिक महत्व भी अत्यधिक है। मान्यता है कि इसी तिथि को भगवान विष्णु ने नर-नारायण, हयग्रीव और परशुराम के रूप में अवतार लिया था। इसी कारण इस दिन परशुराम जयंती भी मनाई जाती है। ब्रह्मा जी के पुत्र अक्षय कुमार का प्राकट्य भी इसी दिन हुआ था। महाभारत का युद्ध भी अक्षय तृतीया को समाप्त हुआ था। उत्तराखंड स्थित बद्रीनाथ धाम के कपाट भी आज ही के दिन खुलते हैं और चारों धामों की यात्रा का आरंभ होता है। वृंदावन के श्री बांके बिहारी मंदिर में भी केवल इसी दिन श्री विग्रह के चरण-दर्शन होते हैं, बाकी समय चरण वस्त्रों से ढके रहते हैं।

सुख-समृद्धि हेतु क्या करें ?

1. सूर्योदय से पूर्व पवित्र स्नान और पूजा करें

अक्षय तृतीया के दिन प्रातः ब्रह्ममुहूर्त में उठकर समुद्र, गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान करने का विशेष महत्व है। यदि यह संभव न हो तो घर पर ही स्नान के बाद गंगाजल के छींटे लगा लें। तत्पश्चात भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा शांत चित्त होकर करें। पूजा में पीले या सफेद कमल और गुलाब के पुष्प अर्पित करें।

2. विशेष नैवेद्य अर्पित करें और सत्तू ग्रहण करें

इस दिन गेहूं, जौ, चने का सत्तू, मिश्री, नीम की कोपलें, ककड़ी और चने की भीगी दाल का नैवेद्य अर्पित करना शुभ होता है। मान्यता है कि अक्षय तृतीया के दिन सत्तू अवश्य खाना चाहिए। यह न केवल स्वास्थ्यवर्धक होता है, बल्कि धार्मिक दृष्टि से भी फलदायी माना गया है।

3. फलदार वृक्षों का रोपण करें 

इस दिन पीपल, आम, पाकड़, गूलर, बरगद, आंवला, बेल, जामुन जैसे फलदार वृक्षों का रोपण करना अत्यंत पुण्यकारी माना गया है। शास्त्रों के अनुसार जैसे ये वृक्ष वर्षों तक हरे-भरे रहते हैं, उसी प्रकार इनका रोपण करने वाले का जीवन भी सुख, समृद्धि और उन्नति से भर जाता है।

4. गर्मी में उपयोगी वस्तुओं का दान करें

अक्षय तृतीया वसंत ऋतु के अंत और ग्रीष्म ऋतु के प्रारंभ की तिथि भी है। इस दिन जल से भरे घड़े, सकोरे, कुल्हड़, पंखे, छाता, चटाई, चावल, घी, नमक, खीरा, खरबूजा, मिश्री, सत्तू आदि वस्तुओं का दान करना अत्यंत पुण्यकारी बताया गया है। इससे व्यक्ति के जीवन से दरिद्रता दूर होती है और अक्षय फल की प्राप्ति होती है।

5. भगवान शिव-पार्वती की पूजा करें

इस दिन केवल लक्ष्मीनारायण ही नहीं, बल्कि भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने का भी विशेष विधान है। विशेषकर विवाहित स्त्रियां इस दिन अखंड सौभाग्य और पारिवारिक सुख-शांति के लिए शिव-पार्वती की आराधना करती हैं। इससे गृहस्थ जीवन सुखमय और समृद्ध होता है।

 

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