सनातन धर्म में छठ पूजा का विशेष महत्व होता है. यह पर्व बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और देश के कई हिस्सों में बड़ी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है. इस साल 25 अक्टूबर, शनिवार से नहाय-खाय के साथ चार दिवसीय छठ महापर्व की शुरुआत हो रही है. इसी दिन से व्रती नियम-धर्म का पालन करते हुए सात्विक भोजन तैयार करेंगे और उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करेंगे. धार्मिक मान्यता है कि नहाय-खाय के दिन ही छठ व्रत का संकल्प लिया जाता है. इस दिन श्रद्धालु छठी मैया और भगवान सूर्य को स्मरण करते हुए गीतों के माध्यम से उनका आह्वान करते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं पहले दिन की पूजा विधि और नियम.
नहाय-खाय की विधि
छठ पर्व के पहले दिन को नहाय-खाय कहा जाता है. इस दिन व्रती को सूर्योदय से पहले उठ जाना चाहिए. इसके बाद गंगा, यमुना या किसी पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए। अगर नदी में स्नान करना संभव न हो तो नहाने के जल में कुछ बूंदें गंगाजल मिलाकर भी स्नान कर सकते हैं. स्नान के बाद घर के पूजा स्थल और रसोई की अच्छी तरह सफाई करनी चाहिए, क्योंकि छठ पर्व में स्वच्छता का विशेष महत्व है. फिर पूजा स्थल पर दीपक जलाकर छठी माता और भगवान सूर्य की पूजा करनी चाहिए. पूजा के दौरान व्रत का संकल्प लेते समय इस मंत्र का जाप करें.
क्या खाया जाता है नहाय-खाय के दिन
इस दिन व्रती केवल शुद्ध और सात्विक भोजन करते हैं. भोजन में कद्दू, लौकी की सब्जी, चने की दाल और चावल शामिल किया जाता है. इस बात का खास ध्यान रखें कि, इस दिन किसी भी पकवान में लहसुन और प्याज का उपयोग न करें. इसके साथ ही नमक की जगह सेंधा नमक का इस्तेमाल करें. वहीं, भोजन शुद्ध घी में तैयार करें और इसे प्रसाद स्वरूप ग्रहण करें.
नहाय-खाय का महत्व
छठ पर्व का पहला दिन नहाय-खाय कहलाता है. यह दिन शरीर और मन की शुद्धि का प्रतीक माना जाता है. इस दिन व्रती (व्रत करने वाले) खुद को पवित्र करने के लिए स्नान करते हैं और शुद्ध भोजन ग्रहण करते हैं. ऐसा माना जाता है कि इस दिन की पवित्र शुरुआत से पूरे छठ पर्व का फल कई गुना बढ़ जाता है.
नहाय-खाय के दिन इन नियमों का करें पालन
• नहाय-खाय के दिन सबसे पहले पूरे घर को पूरी तरह साफ और स्वच्छ रखें. पूजा स्थल, रसोई और घर के अन्य हिस्सों की पवित्रता का विशेष ध्यान दें.
• व्रती प्रातःकाल उठकर स्नान करें और शरीर को पूरी तरह स्वच्छ करें. यह न केवल शारीरिक स्वच्छता के लिए आवश्यक है, बल्कि धार्मिक दृष्टि से भी यह अनिवार्य माना जाता है.
• नहाय-खाय के दिन व्रती को नए वस्त्र पहनने की सलाह दी जाती है. यदि नए वस्त्र न हों तो कम से कम साफ-सुथरे और पवित्र कपड़े पहनें.
• नहाय-खाय से पहले सूर्य देव को जल अर्पित करना अनिवार्य है. यह सूर्य देव के प्रति श्रद्धा और आभार प्रकट करने का प्रतीक है.
• नहाय-खाय का भोजन तैयार होने के बाद सबसे पहले इसे सूर्य देव को भोग के रूप में अर्पित करें. इसके बाद ही व्रती और परिवार के अन्य सदस्य भोजन ग्रहण करें.
• इस दिन भोजन पूरी तरह सात्विक होना चाहिए. नहाय-खाय के दिन लहसुन, प्याज या अन्य तामसिक पदार्थों का सेवन बिल्कुल न करें.
• नहाय-खाय में आमतौर पर कद्दू की सब्जी, लौकी, चने की दाल और भात (चावल) खाने की परंपरा है. यह भोजन स्वास्थ्य और धार्मिक दृष्टि से शुभ माना जाता है.
• तैयार किया गया भोजन सबसे पहले व्रती को ही ग्रहण करना चाहिए. परिवार के अन्य सदस्य व्रती के भोजन के बाद ही खाएं.
• नहाय-खाय के दिन सिर्फ व्रती ही नहीं, बल्कि पूरे परिवार को सात्विक भोजन करना चाहिए. इससे घर में भक्ति, शांति और सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है.
छठ पूजा 2025 कैलेंडर

छठ पूजा चार दिनों तक चलने वाला पवित्र त्योहार है, जिसे इस वर्ष 25 अक्तूबर से 28 अक्तूबर, 2025 तक मनाया जाएगा. यह पर्व खासकर बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश, ओडिशा और नेपाल के कुछ हिस्सों में बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है. इसे सूर्य षष्ठी, डाला छठ और डाला पूजा के नाम से भी जाना जाता है.
• पहला दिन: नहाय-खाय (25 अक्तूबर, शनिवार)
• दूसरा दिन: खरना पूजन (26 अक्तूबर, रविवार)
• तीसरा दिन: संध्या अर्घ्य (27 अक्तूबर, सोमवार)
• चौथा दिन: उषा अर्घ्य (28 अक्तूबर, मंगलवार)
