वाराणसी। एम्फीथिएटर बीएचयू के मुक्ताकाशी प्रांगण में निर्मित भव्य सभामंडप में आयोजित काशी तमिल समागमम के अंतर्गत उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, प्रयागराज एवं दक्षिण क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र संस्कृति मंत्रालय, तथा शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार द्वारा आयोजित सांस्कृतिक संध्या में तमिलनाडु से पधारे गुणी अतिथि कलाकारो के समूह द्वारा गायन वादन एवं नृत्य की मनोहारी एवं प्रभावशाली प्रस्तुति की ।
आज के कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जस्टिस के. श्रीराम न्यायाधीश बंबई, उच्च न्यायालय मौजूद रहे एवं डा अजय कृष्ण विश्वेश और जिला जज वाराणसी,पूनम मौर्या जिला पंचायत अध्यक्ष मौजूद रहीं।
आज के सांस्कृतिक संध्या का शुरूआत काशी हिंदू विश्वविद्यालय के संगीत विभाग डॉ के.ए. चंचल ने की उन्होंने अपने भाषण की शुरुआत करते हुए अंग्रेजी तमिल मराठी और भारतीय भाषा के साथ शुरू की उन्होंने कहा कि या काशी तमिल संगमम् एक अद्भुत कार्यक्रम है जहां पर भारत की विभिन्न संस्कृतियों का संगमम् हो रहा है।
दूसरी प्रस्तुति तमिल के आध्यात्मिक और इतिहास आधारित ड्रामा, मनुस्वामी का पेरियामेलम नृत्य की हुई जिसका नेतृत्व मुनुसामी ने किया ।इस विशेष प्रस्तुति में पुरुष द्वारा ढोल के ढाप पर सांस्कृतिक प्रस्तुति दी ।
तीसरा प्रस्तुति तमिलनाडु से आए कलाकारों ने कोल्लट्टम और कुम्मियट्टम ( कुम्मी) का दिया जिसमें संस्कृति वेश भूषा में महिलाओं ने नृत्य किया इसका नृत्य पी. सावित्री किंस ने किया । कुम्मी एक लोक नृत्य है , जो भारत में तमिलनाडु और केरल में लोकप्रिय है, ज्यादातर तमिल महिलाओं द्वारा सर्कल में नृत्य किया जाता है। महिलाओं ने लोक प्रिय गीत की प्रस्तुति दी।
चौथी प्रस्तुति तमिलनाडु से आए कलाकारों ने थप्पट्टम की प्रस्तुति श्री करुम्बयिरम के नेतृत्व में किया ।
कार्यक्रम की अंतिम प्रस्तुति एस शांति के नेतृत्व में हरिचंद्र पावलकोडी और वेलु नाचियार की प्रस्तुति में सांस्कृतिक वेश भूषा में राजा हरिश्चंद्र के जीवन पर आधारित कथा का मंचन किया गया ।