बनारस घराने के सुख्यात कलाकार पद्मभूषण पं साजन मिश्र पहुंच काशी में

Uttam Savera News
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वाराणसी | आज 5 जनवरी 2022 को पद्मविभूषण श्रीमती गिरिजा देवी सांस्कृतिक संकुल में श्री काशी विश्वनाथ धाम यात्रा के अंतर्गत केंद्रीय संगीत नाटक अकादमी दिल्लीः एवं उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी लखनऊ तथा संस्कृति विभाग एवं धर्मार्थ विभाग उत्तर प्रदेश सरकार। जिला प्रशासन वाराणसी के सहयोग से आयोजित त्रिदिवसीय कार्यक्रम शास्त्रीय संगीत के विभिन्न घरानों के सम्मेलन राग रंग के प्रथम चरण का शुभारंभ उत्तर प्रदेश के संस्कृति एवं पर्यटन धर्मार्थ एवं प्रोटोकॉल राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार डॉ नीलकंठ तिवारी जी के साथ अन्य विशिष्ट जनो उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी के अध्यक्ष पद्मश्री डॉ राजेश्वर आचार्य एवं पद्मश्रीश्री रजनीकांत तथा पद्मभूषण पं साजन मिश्र जी के करकमलों द्वारा विधिवत दीप प्रज्ज्वलित करके हुआ ।

इस अवसर पर डॉ नीलकंठ तिवारी जी ने देशभर के कोने कोने से आये कलाकरो के प्रति आभार व्यक्त किया और श्री काशी विश्वनाथ धाम यात्रा के अंतर्गत आयोजित कार्यक्रमो की माला में एक और पुष्प बताया।और कहा कि देश की सांस्कृतिक विरासत और परंपरा को संजोए रखना सभी का कर्तव्य है। आरम्भ में पद्मश्री डॉ राजेश्वर आचार्य जी ने मंत्री जी को अंगवस्त्रम प्रदान कर संम्मानित किया और यू पी एस एन श्रीनिवासन ए के सचिव श्री तरूणराज जी ने मंत्री जी का स्वागत पुष्पगुच्छ प्रदान कर किया
इस अवसर पर पद्मश्री पं राजेश्वर आचार्य जी ने कहा कि कला का धर्म शाश्वत है वही शाश्वत स्वरूप बाबा की नगरी की जीवंतता का आयाम है। कार्यक्रम का संयोजन डॉ सुभाष चंद्र यादव एवं श्री तरुण राज, सचिव उ०प्र०संगीत नाटक अकादमी लखनऊ ने किया। इस अवसर पर उपस्थित रहे अयोध्या शोध संस्थान के निदेशक श्री लवकुश द्विवेदी जी तथा केंद्रीय संगीत नाटक अकादमी के कार्यक्रम अशिकारी श्री राजू दास ।

प्रथम प्रस्तुति रही ग्वालियर घराने की प्रसिद्ध गायिका डॉ मीता पंडित जी एवं विदुषी सुधा रघुरामन जी द्वारा प्रस्तुत गायन की जुगबन्दी तबला संगति रही पं कुबेर मिश्र जी और मृदंगम पर साथ दिया श्री एम बी चंदशेखर तथा हारमोनियम पर साथ दिया पं धर्मनाथ मिश्र जी ने । तथा बांसुरी पर साथ दिया पं जी रघुरामन ने तानपुरा संगति रह सुश्री राजश्रीनाथ की ।युगल गायन का आरम्भ हुआ राग तिलककामोद में निबद्ध रचना से बोल थे तीरथ को सब करे। साथ ही राग भूपाली एवं दक्षिणी पद्धति में मोहनम राग में बद्ध रचना जय जय देव हरे सुनाकर भक्तिरस से सिक्त किया साथ मे तराना और तिल्लाना की प्रस्तुति से समापन हुआ।
द्वितीय प्रस्तुति रही फ़रूर्खाबाद घराने के वरिष्ठ ख्यात कलाकार पं अनिदो चैटर्जी एवं उनके सुपुत्र पं अनुब्रत चैटर्जी आप दोनो के साथ सारंगी पर संगत रही उस्ताद मुराद अली खान की आपदोनो ने विविध तालो की विविध लयकारियो को अनोखे अंदाज विशिष्ट स्वरूप में प्रस्तुत करते हुए श्रोताओ का ह्रदय विभोर किया । दोनो कलाकरो ने उठान कायदा रेला आदि की कुशल प्रयुक्ति से आनंदित किया ।

कार्यक्रम की तीसरी प्रस्तुति के अंतर्गत बनारस घराने के सुख्यात कलाकार पद्मभूषण पं साजन मिश्र जी एवं
उनके सुपुत्र एवं सुयोग्य शिष्य पं स्वरांश मिश्र ने एकताल में निबद्ध बंदिश सुनाकर रससिक्त किया बोल थे कौन गत भईली। रूपक में तराना सुनाया साथ मे अंत मे जमुना जल सुनाकर समापन किया। तबला संगति रही श्री शुभ महाराज की एवं तानपुरा संगति रही श्री सागर मिश्र एवं श्री मोहित तिवारी की एवं सारंगी पर संगत रही श्री विनायकः सहाय की ।
चौथी और अंतिम प्रस्तुति रहीपं रोनू मजूमदार के बांसुरी वादन तथा पं तरुण भट्टाचार्य के संतूर वादन की जुगलबंदी की जिसमे तबला संगति रही उस्ताद फजल कुरैशी की एवं उस्ताद अकरम खान की जिसने दोनो कलाकरो ने राग बद्ध स्वर और लय की विविध प्रस्तुतियों को अपने अपने वाद्यो पर अवतरित किय । व्यवस्था में प्रशान्त राय, अतुल सिंह, अभिषेक, अंगिका मिश्रा, श्रुति प्रकाश, अखिलेश यादव, प्रशान्त यादव व संजय ने विशेष सहयोग प्रदान किया। संचालन किया डॉ प्रीतेश आचार्य ने किया।

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