परिवर्तन पहल के अंतर्गत साझेदारी में विद्यालय का किया गया कायाकल्प, हरहुआं प्राथमिक विद्यालय

Uttam Savera News
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-मंडलायुक्त द्वारा कंपोजिट विद्यालय हरहुआ में एचडीएफसी बैंक की परिवर्तन मुहिम के तहत कराये गये कार्यों का उद्घाटन किया

-फटी हुई शर्ट, और पेंट, बिन जूते के, फिर भी मिला मंडलायुक्त से सम्मान

वाराणसी। मंडलायुक्त कौशल राज शर्मा द्वारा कंपोजिट विद्यालय हरहुआ में एचडीएफसी बैंक तथा अंबुजा सीमेंट के प्रयासों से बच्चों के विकास हेतु बनाये गये स्मार्ट क्लास, लाइब्रेरी तथा साइंस लैब का उद्घाटन किया गया। मंडलायुक्त ने कार्यक्रम में बोलते हुए एचडीएफसी बैंक द्वारा कराये जा रहे सामाजिक कार्यों के प्रति आभार जताया तथा कहा कि इस प्रकार के विकास कार्यों से निजी विद्यालय तथा सरकारी विद्यालयों में मौजूद लर्निंग गैप को खत्म करने को काम किया जा रहा।

मंडलायुक्त ने विद्यालय के अध्यापकों से स्मार्ट क्लास में प्रयुक्त ऐप्लिकेशन को अच्छे से सीखने को कहा ताकि बच्चों को उसके बारे में अच्छे से जानकारी दी जा सके। उन्होंने बच्चों की कैरियर काउंसलिंग कराने को कहा ताकि बच्चे अपने भविष्य के प्रति अग्रसर हो सकें।

उन्होंने कहा कि बच्चों को सप्ताह में एक बार लाइब्रेरी जरूर ले जाएं ताकि बच्चों में पढ़ने की आदत का विकास हो। विद्यालय के कक्षा 8 के छात्र रोहित कुमार द्वारा जेसीबी मशीन के मॉडल को प्रस्तुत किया गया जिसका मंडलायुक्त समेत सभी ने प्रसंशा की।

यहां तब तो सब ठीक था, जितनी तारीफ एचडीएफसी बैंक की जा रही थी अगर इतनी तारीफ से स्कूल के इंफ्रास्ट्रक्चर की बात की जाती तो बच्चों का भविष्य अब तक संवर चुका होता बहराल मंडलायुक्त जैसे ही रिबन का फीता काटकर उद्घाटन करते हैं उनके मौजूदगी में चंद मिनट बाद ही स्कूल की लाइट चली जाती है इसके बाद कक्षा आठ के छात्र रोहित गुप्ता द्वारा जेसीबी मशीन का मॉडल बनाया जाता है

जिस पर मंडलायुक्त कौशल राज शर्मा उसकी प्रशंसा भी करते हैं और बोलते हैं इसको तो IIT में भी जाना चाहिए और स्मृति चिन्ह देकर उसको सम्मान देते हैं पर साहब का ध्यान मैं उस बच्चे पर आकर्षित करना चाहता हूं कि जिस बच्चे को वह शाबाशी दिए हैं उस बच्चे के पास

फटी हुई शर्ट और फटी हुई पेंट और पैरों में चप्पल बिना टाई बैच के बीएसए अधिकारी के सामने छात्र को सम्मानित किया जाता है ऐसे तमाम छात्र और छात्राएं उसी स्कूल में मौजूद थे जिनके पास ठीक से जूते नहीं थे और ना ही ड्रेस है और ड्रेस थे भी तो उनके ड्रेस फटे हुए थे

अगर किसी प्राइवेट कंपनी ने स्कूल में मदद की तो यह काबिले तारीफ है पर स्कूल तो सरकारी है इस लिहाज से स्कूल को भी प्राइवेट ही कर देना चाहिए ताकि बच्चों का भविष्य उज्जवल हो सके और और मोटी तनख्वाह पाने वाले शिक्षकों को भी प्राइवेट के श्रेणी में ला खड़ा करना चाहिए

फोटो:वीडियो: अशोक पाण्डेय (उत्तम सवेरा न्यूज़, मीडिया प्रभारी, उत्तर प्रदेश)

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