प्राचीन भारत की उड्डयन तकनीक को समझेंगे स्कूल ऑफ राम के छात्र, दीपावली के अवसर पर शुरू होगा अनोखा कोर्स

Uttam Savera News
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दीपावली के अवसर पर शुरू होगा अनोखा कोर्स

प्राचीन भारत की उड्डयन तकनीक को समझेंगे स्कूल ऑफ राम के छात्र

● रामायण एवं वैमानिकी शास्त्र को आधार मानकर प्राचीन भारत की उड्डयन तकनीक को पढ़ाएगा स्कूल ऑफ राम।

● एविएशन टेक्नोलॉजी ऑफ एन्सियन्ट इंडिया नामक एक माह के प्रमाणपत्रीय पाठ्यक्रम को तैयार किया गया है।

● जो आज तक कभी स्कूलों में नहीं पढ़ाया गया उसे पढ़ाएगा स्कूल ऑफ राम

वाराणसी/उत्तर प्रदेश
रामायण एकांगी दृष्टिकोण का वृतांत भर नहीं है। इसमें कौटुम्बिक सांसारिकता है। राज-समाज संचालन के कूट मंत्र हैं। भूगोल है। वनस्पति और जीव जगत हैं । राष्ट्रीयता है । राष्ट्र के प्रति उत्सर्ग का चरम है । अस्त्र-शस्त्र हैं । यौद्धिक कौशल के गुण हैं । भौतिकवाद है । कणाद का परमाणुवाद है । सांख्यदर्शन और योग के सूत्र हैं । वेदांत दर्शन है और अनेक वैज्ञानिक कारण भी हैं । गांधी का राम-राज्य और पं. दीनदयाल उपाध्याय के आध्यात्मिक भौतिकवाद के उत्स इसी रामायण में हैं।
वास्तव में रामायण और उसके परवर्ती ग्रंथ कवि या लेखक की कपोल-कल्पना न होकर तत्कालीन ज्ञान के विश्वकोश हैं।

भगवान श्री राम के जीवन पर शुरू हुए विश्व के पहले वर्चुअल विद्यालय “स्कूल ऑफ राम” द्वारा एविएशन टेक्नोलॉजी ऑफ एन्सियन्ट इंडिया नामक एक माह के प्रमाणपत्रीय पाठ्यक्रम को तैयार किया गया है। जिसमें रामायण एवं महर्षि भारद्वाज द्वारा रचित वैमानिकी शास्त्र को आधार मानकर प्राचीन भारत की उड्डयन तकनीक को पढ़ाया जाएगा।

इस कोर्स के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करते हुए स्कूल ऑफ राम के संयोजक बीएचयू में अध्ययनरत छात्र प्रिंस तिवाड़ी ने बताया कि
वाल्मीकी रामायण एवं नाना प्रकार की रामायणों तथा अन्य ग्रंथों में ‘पुष्पक विमान’ के उपयोग के विवरण हैं। इससे स्पष्ट होता है, उस युग में राक्षस व देवता न केवल विमान शास्त्र के ज्ञाता थे, बल्कि सुविधायुक्त आकाशगामी साधनों के रूप में वाहनब्ध भी थे।
विमान नामक यंत्र तो वैदिक काल से ही इस देश में प्रचलित था। संस्कृत में “वी” पक्षी को कहते हैं और ‘मान’ का अर्थ अनुरूप या सदृश हैं ! इसीलिए विमान का अर्थ पक्षी के सदिश होता हैं !
प्रिंस ने बताया कि
वेद में विमान बनाने की विधि बतलाते हुए कहा हैं –
वेदा यो वीनां पदमन्तरिक्षेण पतताम् । वेद नावः समुद्रियः॥ (ऋग्वेद) अथार्त जो आकाश में पक्षियों की स्थिति को जानता हैं,वह समुद्र-आकाश की नाव-विमान को जानता हैं !)
पुष्पक विमान की प्रौद्योगिकी का विस्तृत व्यौरा महर्षि भारद्वाज द्वारा लिखित पुस्तक ‘यंत्र-सर्वेश्वम्’ में भी किया गया था। वर्तमान में यह पुस्तक विलुप्त हो चुकी है, लेकिन इसके 40 अध्यायों में से एक अध्याय ‘वैमानिक शास्त्र’ अभी प्राप्यब्ध है। इसमें भी शकुन, सुन्दर, त्रिपुर एवं रूक्म विमान सहित 25 तरह के विमानों का विवरण है।
हम अपने इस एक माह के प्रमाणपत्रीय कार्यक्रम में रामायण एवं महर्षि भारद्वाज द्वारा लिखित ‘वैमानिक शास्त्र’ को आधार मानकर प्राचीन भारत की उड्डयन तकनीक का अध्ययन करेंगे !

पाठ्यक्रम की रुपरेखा
पाठ्यक्रम की अवधि : एक माह
दिवस – एक माह सप्ताह में दो दिन (मंगलवार एवं शनिवार)
समय – रात्रि 9:00 बजे से 9:45 बजे तक
पाठ्यक्रम शुभारम्भ – 22 अक्टूबर 2022
पाठ्यक्रम पूर्णाहुति – 22 नवंबर 2022
पाठ्यकम में कुल सीट : 50

इस कोर्स की सबसे खास बात यह होगी की इसमें प्रतिभागिता हेतु कोई अर्हता नहीं रखी गई है। कोई भी व्यक्ति किसी भी उम्र के
महिला-पुरुष,बालक-बालिका इस कोर्स का अंग बन सकते हैं ! इस कोर्स में उम्र की भी कोई बाध्यता नहीं हैं ।
कक्षा में 75% उपस्तिथि वाले प्रतिभागियों को ही प्रमाण-पत्र प्रदान किये जायेंगे ।

22 अक्टूबर को उद्घाटन समारोह में कोर्स का औपचारिक रूप से शुभारम्भ किया जायेगा ! साथ ही कोर्स का विस्तृत परिचय भी दिया जायेगा !
एक माह तक सप्ताह में 2 दिन मंगलवार एवं शनिवार को कक्षाओं का आयोजन भारतीय समयानुसार रात्रि 9:00 से 9:45 बजे तक ऑनलाइन माध्यम से किया जायेगा !

उक्त कॉर्स में विद्यार्थियों को पढ़ाने की दृष्टि से पाठ्यकम में कुछ महत्वपूर्ण अध्यायों को सम्मिलित किया गया हैं –

● विमान की संरचना
● वेदों में विमान एवं अन्तरिक्ष यात्रा
● स्वचालित यान एवं विमान
● अन्तरिक्ष एवं समुद्र में चलने वाले यान
● भारद्वाज ऋषि का वैमानिक शास्त्र
● वैमानिक यात्रा हेतु आकाश मार्ग का चयन एवं महत्व
● विमान के प्रकार एवं उनमें प्रयुक्त होने वाला ईंधन
● विमान में विभिन्न प्रकार के अंग एवं यंत्र
● विमानों के भेद
● विमान परिचालक की अर्हताएं
● वाल्मीकि रामायण में विमान
● रामचरितमानस में विमान
● पुष्पक विमान,उड़न तश्तरियां (Flying Saucers) एवं विभिन्न प्रकार के व्यक्तिगत यान
● भागवत पुराण में विमान का महत्व
● वैमानिकी के सन्दर्भ में विभिन्न सूत्र,एवं सूत्रों के आधार पर विमानों के प्रकार
● वैमानिकी में मिसाइल का प्रयोग
● श्रीलंका की पौराणिक वैमानिक तकनीक

प्रेषक
प्रचार विभाग
स्कूल ऑफ राम
schoolofram@gmail.com
9783300907

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