प्रदेश के के आयुर्वेदिक चिकित्सालयों में रोगियों के आंकड़े गुगल फ़ार्म के माध्यम से एकत्र किये गये:-वैद्य सुशील कुमार दुबे

Uttam Savera News
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वाराणसी | आयुर्वेद को विश्व स्तर पर तलाशने के लिए शोध समय की आवश्यकता है। आयुर्वेद चिकित्सा को रिसर्च ओरिएंटेड प्रमाणिक करने और डाटा एकत्र करने के लिए आयुष राज्य मंत्री डा दयाशंकर मिश्र दयालु एवं
मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश शासन दुर्गा शंकर मिश्र के निर्देशन में पिछले वर्ष काशी हिन्दू विश्वविद्यालय मे वर्चुअल रिसर्च लैब की स्थापना के लिए प्रयास किया जा रहा है। पिछले वर्ष फरवरी में बी एच यू में गिलोय मिशन पर आयोजित संगोष्ठी में इस अवधारणा की शुरुआत पूर्व डीन प्रोफेसर यामिनी भूषण त्रिपाठी एवं वैद्य सुशील कुमार दुबे द्वारा की गयी थी। बी एच यू के प्रोफेसर सुधीर कुमार जैन एवं मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश दुर्गा शंकर मिश्र द्वारा इस विचार की प्रसंशा की गई थी।

वर्चुअल रिसर्च लैब के माध्यम से –
प्रदेश के के आयुर्वेदिक चिकित्सालयों में 13936 रोगियों के आंकड़े गुगल फ़ार्म के माध्यम से एकत्र किये गये।
इस रिसर्च प्रोजेक्ट का कर रहे क्रियान्वयन वैद्य सुशील कुमार दुबे एवं अवनीश पाण्डे चिकित्सा अधिकारी प्रतापगढ़ द्वारा लखनऊ में शोध रिपोर्ट प्रमुख सचिव आयुष लीना जौहरी को सौंपा।

13936 रोगियों के आंकड़ों में पाया गया कि आयुर्वेदिक दवाओं का 31.61% रोगियों में 3 दिनों के भीतर और 58.35% रोगियों में 7 दिनों के भीतर प्रभाव पाया गया। ये आंकड़े इस भ्रम को दूर करने मे सफल हो रहें कि आयुर्वेदिक औषधियाँ देर से असर करती हैं। मेदधातु का मल पसीना है और पसीना न निकलने के कारण आंकड़े बताते हैं कि आराम तलब जीवनशैली खासकर एयरकंडीशन और कूलर मे रहने से पसीने को शरीर से बाहर नही निकलने देते जो लिवर और हृदय रोग का प्रमुख कारण बन सकता है।
खट्टा, नमकीन अधिक खाने से क्रोध, चिड़चिड़ापन, बाल सफ़ेद होना ये समस्याएं भी बढ़ी हैं। शोध के अनुसार 49.15% लोग खाने में मीठा पसंद करते हैं। गलत जीवनशैली एवं आयुर्वेद विरुद्ध खान पान से डायबिटीज एवं अन्य गैर संचारी रोग बढ़ रहे हैं। सर्वे में 52% मरीजों को 100 से 300 मीटर पैदल चलने में सांस लेने में तकलीफ होती है। इस शोध कार्य में डॉ. अजय कुमार, डॉ. रमेश कांत दुबे, डॉ. भगवान दास यादव, डॉ. बीरबल राम, डॉ. दिनेश कुमार यादव, डॉ. विकास गुप्ता, डॉ. सुदीप लाल, डाक्टर रामकृष्ण निरंजन, डॉ. अवनीश पाण्डेय ने इस प्रोजेक्ट मे सक्रिय भूमिका निभाई।

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर यामिनी भूषण त्रिपाठी, आयुर्वेद संकाय के डीन प्रो के एन द्विवेदी, वैद्य सुशील कुमार दुबे, मनोविज्ञान विभाग की डा उर्मिला श्रीवास्तव, शारीरिक शिक्षा विभाग के डा विनायक दुबे और सांख्यिकी विभाग के प्रोफेसर टी बी सिंह के द्वारा शोध का परिक्षण, रूप रेखा में योगदान रहा।

इस प्रकार के शोध से औषधियों की गुणवत्ता, भौगोलिक स्थिति के आधार पर क्षेत्र के सामान्य रोग,उपचार की अवधि जैसे महत्वपूर्ण डाटा एकत्रित किये जा सकते हैं एवं आयुर्वेद के क्षेत्र मे शोध को बढ़ावा मिल सकता है। इसका संक्षिप्त रिपोर्ट प्रमुख सचिव आयुष उत्तर प्रदेश लीना जौहरी को वैद्य सुशील कुमार दूबे की टीम ने दिया। कार्य की अत्यधिक प्रसंशा किया साथ इसको विस्तार रुप देने के लिए सहमति बन रहा है ।
यह प्रौजेक्ट गुग्गुल फार्म के माध्यम से सरकार के सहयोग से नि: शुल्क किया गया है।

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