वाराणसी | रविवार दिनांक 20/11/2022 को भिखारीपुर स्थित सूर्या सभागार में प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया जिसमे राज्य मंत्री सुनील भराला शामिल रहें । प्रेस वार्ता के दौरान उन्होंने कहा की इस वार्ता का मूल कारण है की इतने वर्षों से जो भगवान परशुराम पे शोध हो रहा था वो आज सफल हुआ हैं और अब आने वाले समय में हर घर में भगवान परशुराम की मूर्ति होगी इसका कोई समय निर्धारित नहीं है पर इसका आगाज आज से हो चुका है ।
2016 से ये शोध चल रहा था और 7 साल बाद ये शोध पूर्ण हुआ है। शोध के दौरान भगवान की जन्मभूमि “जाना पाओ ” खोजी गई है जोकि उज्जैन के समीप हैं। इस पूरे शोध का राजनीति से कोई भी लिंक नही है | इस पूरे शोध में भगवान परशुराम के जीवन पे आधारित बाल अवस्था, तपो अवस्था जैसी आदि स्थानों की खोज की गई है। और जो भी भगवान परशुराम के ऊपर राजनीति कर रहें है भगवन परशुराम उनका सर अपने फरसे से काटा हैं इस अवसर पे जगत गुरू नरेंद्र नाथ सरस्वती ने कहा राष्ट्र में यदि शांति चहिए और आतंकवाद से छुटकारा चाहिए तो देश में कुरान हटा दिया जाए ।
राष्ट्रीय परशुराम परिषद द्वारा दिनांक 7 से 9 अक्टूबर, 2022 को राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक एवं अखिल भारतीय चिंतन शिविर (वर्ग) का आयोजन वृन्दावन में किया गया। राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक की अध्यक्षक्ता प. श्री अजय कुमार झा, राष्ट्रीय संयोजक, राष्ट्रीय परशुराम परिषद एवं संस्थापक पं. श्री सुनील भराला जी अध्यक्ष / राज्यमंत्री श्रम कल्याण परिषद उत्तर प्रदेश के मार्गदर्शन में संपन्न हुआ।
पं. सुनील भराला ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक में जोर देते हुए कहा कि आगामी | दिनांक 13-15 जनवरी, 2023 को राष्ट्रीय परशुराम परिषद द्वारा अरूणाचल प्रदेश के जनपद लोहित तेजू में स्थित श्री परशुराम कुंड तीर्थ यात्रा का आयोजन | पर ४“ | किया जा रहा है. जिसमें देश भर से हजारों लोग इस तीर्थ यात्रा में सम्मिलित 10 ५ रह होंगे। इस संदर्भ में श्री मुकेश भार्गव जी को श्री परशुराम तीर्थ यात्रा का राष्ट्रीय * है। संयोजक नियुक्त किया गया है। इस अवसर पर परिषद के द्वारा चीन सीमा पर स्थित श्री परशुराम कुंड के निकट श्री परशुराम जी के नाम पर 75 हेक्टेयर भूमि वीरों के लिए अकादमी बनाने का प्रस्ताव पारित किया गया जिससे यह स्थान पूर्वोत्तर भारत में श्रध्दा और पर्यटन का बड़ा केंद्र बने। परिषद के द्वारा अरूणाचल प्रदेश में नाका पर श्री परशुराम कुंड दर्शन हेतु जो कोटा परमिट की व्यवस्था है उसे खत्म कराने हेतु गृहमंत्री भारत सरकार से पत्राचार किया जायेगा द्य राष्ट्रीय परशुराम परिषद द्वारा देश भर के 1 लाख मंदिरों में मूर्ति स्थापित करने का जो निर्णय लिया गया है वह अत्यंन्त सराहनीय है । यह हर्ष का विषय है कि भगवान श्री कृष्ण जी की जन्मभूमि से मथुरा वृन्दावन से इस पुनीत कार्य का शुभारम्भ हुआ है।
2017 से ही राष्ट्रीय परशुराम परिषद द्वारा भगवान श्री परशुराम पर व्यापक शोध कार्य प्रारंभ कर दियागया था | अनेकों विद्वानों तथा संतों से विचार विमर्श के उपरांत सन 2022 में दिनांक 19 व 20 जून को, संस्थापक तथा संरक्षक पं. श्री सुनील भराला जी के अथक परिश्रम से परिषद के द्वारा
अवधूत मण्डल आश्रम, हरिद्वार में ‘दो दिवसीय भगवान श्री परशुराम राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी, विद्वत संत समागम’ का आयोजन किया गया।
संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में राष्ट्रीय परशुराम परिषद के के संस्थापक संरक्षक पंडित सुंनील भराला जी ने संस्था के उद्देश्य पर प्रकाश डाला । प्रमुख वक्ता के तौर पर बोलते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के श्री इंद्रेश कुमार जी ने भगवान परशुराम के विषय में विषय में अपने विचार रखे. श्री राम जन्मभूमि न्यास के श्री कामेश्वर चौपाल जी ने श्री प्रशुराम को प्रत्येक हिंदू सनातनी का देवता बताया।
परमार्थ निकेतन आश्रम के आचार्य श्री चिदानंद मुनि ने पर्यावरण व ईश्वर के संबंधों को परिभाषित किया।
संगोष्ठी के विभिन्न तकनीकी सत्रों में देश भरके विद्वान, इतिहासकारों, शिक्षाविदों व विश्वविद्यालयों के कुलपतियों यथा प्रो. रमेश कुमार पाण्डेय, पूर्व कुलपति लाल बहादुर शास्त्री संस्कृत वि.वि, प्रो. देवी प्रसाद त्रिपाठी, कुलपति, उत्तराखंड संस्कृत वि.वि,, प्रो. रामनारायण द्विवेदी, सचिव कशी विद्वत परिषद, प्रो, बी.एस. शुक्ल, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, प्रो. राजाराम यादव, पूर्व कुलपति, पूर्वांचल वि.वि., प्रो. विघ्नेश त्यागी, मेरठ वि, वि., प्रो. विशेष गुप्त आदि ने भगवान परशुराम के बारे में फैली अनेक भ्रांतियों को अपने शोध आधारित तर्को से दूर किया. भारत सरकार के केंद्रीय मंत्री श्री अश्वनी
चौबे जी ने अपने व्यक्तिगत अनुभवों को भी साझा करते हुए भगवान श्री परशुराम की दैवीय शक्तिओं का निरूपण किया |
फोटो:वीडियो: अशोक पाण्डेय (उत्तम सवेरा न्यूज़, मीडिया प्रभारी, उत्तर प्रदेश)