धूल फॉक रहा है! महिलाओं का चेंजिंग रूम फ्लोटिंग जेटी पर: महाकुम्भ 2025

Uttam Savera News
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वाराणसी। महाकुम्भ 2025 – तैयारी जोर-शोर पर है धूल फॉक रहा है महिलाओं का चेंजिंग रूम फ्लोटिंग जेटी, सामने घाट पर, जेटी पर योगी सरकार ने इसे ट्रायल के तौर पर दशाश्वमेध घाट पर लगाया था। काशी के घाटों पर गंगा स्नान करने के बाद महिलाओं और पुरुषों को कपड़ा बदलने में असहज़ महसूस करते थे। घाटों पर जगह न होने से इसे फ्लोटिंग जेटी पर बनाया गाया था, जिससे श्रद्धालुओं को परेशानी न हो। काशी में दर्शन ,धार्मिक यात्रा और गंगा स्नान का विशेष महात्म्य है। यहां दर्शन-पूजन करने वालों की तादाद काफी है। गंगा में स्नान करने के बाद कपड़े बदलने के लिए उचित स्थान न होने से श्रद्धालु काफी परेशान होते थे।

5.39 करोड़ की लागत से राजेंद्र प्रसाद घाट, अस्सी घाट, शिवाला घाट, केदार घाट, पंचगंगा घाट तथा राज घाट पर फ्लोटिंग जेट्टी चेंजिंग रूम के निर्माण कार्य में से  राजेंद्र प्रसाद घाट, शिवाला घाट, पंच गंगा घाट और अस्सी घाट पर फ्लोटिंग जेटी चेंजिंग रूम बनाया गाया था। तो वही दूसरी तरफ धूल फॉक रहा है, आज भी ज्यादातर घाटों पर ऐसी सुविधा है ही नहीं और जहां थी वहां से भी हटा लिए गए हैं कुछ थे तो उनके दरवाजे ठीक से काम नहीं कर रहे हैं, इस महाकुंभ में करोड़ों की संख्या में भक्त काशी भी आएगे।

स्नान में बस दो से तीन दिन रह गए हैं देखना यह है कि नगर निगम और स्मार्ट सिटी कब तैयारी करता है वाराणसी में लगभग 84 घाट हो गए हैं। यहां काशी में बड़ी संख्या में लोग मोक्ष, स्नान करने जरूर आते है, ऐसे में सुविधा न देना एक प्रश्न चिन्ह खड़ा करता है जहां सब कुछ होने के बाद भी धूल फॉक रहा है।

महाकुम्भ 2025 में संगम स्नान का महत्व तीर्थराज प्रयाग में माघ के महीने में विशेष रूप से महाकुम्भ के अवसर पर गंगा, यमुना एवं अदृश्य सरस्वती के संगम में स्नान का बहुत ही महत्व बताया गया है। अनेक पुराणों में इसके प्रमाण भी मिलते हैं । ब्रह्मपुराण के अनुसार संगम स्नान का फल अश्वमेध यज्ञ के समान कहा गया है। अग्नि पुराण के अनुसार प्रयाग में प्रतिदिन स्नान का फल उतना ही है, जितना कि प्रतिदिन करोड़ों गायें दान करने से मिलता है । मत्स्यपुराण में कहा गया है कि दस हजार या उससे भी अधिक तीर्थों की यात्रा काजो पुण्य मिलता है, संगम स्नान से मिलता है। पद्म पुराण में माघ मास में प्रयाग का दर्शन दुर्लभ कहा गया है और यदि यहां स्नान किया जाए तो वह और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। यहां पर मुंडन कराना भी श्रेष्ठ फलदायी कहा गया है। मत्स्य पुराण कहता है कि प्रयाग में मुंडन के पश्चात् संगम स्नान करना चाहिए । स्कंद पुराण के काशी खण्ड में भी प्रयाग में मुंडन की महत्ता बतायी गयी है। जैन धर्म मानने वाले यहाँ केशलुंचन को महत्वपूर्ण मानते हैं । आदि तीर्थंकर ऋषभदेव ने अक्षयवट के नीचे केशलुंचन किया था ।

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