वाराणसी | दिनांक 26/3/ 2022 को समय सायं 5:00 बजे भारतीय महिला शिक्षण संस्था केंद्रीय कार्यालय में संपन्न हुआ। विश्व वानिकी दिवस के संदर्भ में अमृता देवी विषय पर विषय प्रस्तुत करते हुए श्रीमान कृष्णमोहन जी (प्रांत संयोजक पर्यावरण संरक्षण गतिविधि काशी प्रांत) ने कहा कि पर्यावरण प्रदूषण जिसके अंतर्गत मिट्टी, पानी, हवा, ध्वनि प्रदूषण आता है आज चारों अत्यधिक प्रदूषित हो चुके हैं कहीं की मिट्टी को खोदिए शुद्ध मिट्टी नहीं मिलेगी कहीं का जल लीजिए शुद्ध नहीं मिलेगा, हवा कहीं शुद्ध नहीं मिलेगा और कहीं शांति नहीं मिलेगी अर्थात शोर-शराबा का माहौल है ।। ग्लोबल वार्मिंग के कारण पृथ्वी आग का गोला बनता जा रहा है, पानी जहरीला होता जा रहा है। हवा में ग्रीन हाउस गैसों की मात्रा अत्यधिक है ऐसी स्थिति में संपूर्ण मानव जाति को ग्लोबल वार्मिंग की मार झेलनी पड़ रही है दूषित जल प्रयोग सब की मजबूरी है मिट्टी जहरीली होने के कारण कोई भी खाद्य पदार्थ शुद्ध नहीं रह गए हैं। ध्वनि प्रदूषण के कारण कहीं भी शांति और सुकून का वातावरण नहीं है ऐसी स्थिति में अमृता देवी का स्मरण और उनके कार्यों का अनुसरण हम सबको इस विश्वव्यापी जटिल समस्या से मुक्ति दिलाएगा अमृता देवी ने जिनकी आयु मात्र 42 वर्ष थी 1730 में हरे पेड़ों को बचाने के लिए अपने सहित अपने तीन पुत्रियों जिनकी आयु 8 ,10 और 12 वर्ष की अपने सिर को कटवा दिया था और उनका अनुसरण करते हुए 363 लोग बलिदान हुए थे हरे पेड़ों को बचाने के लिए जिसमें 71 नारी शक्तियां थी विश्व पर्यावरण के इतिहास में इतना बड़ा बलिदान आज तक नहीं हुआ है
यह संपूर्ण नारी जगत ही नहीं तो मानव जाति के लिए गौरव की बात है कि हमारे पूर्वजों ने हमारे भलाई के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। क्रोना के दूसरे लहर में सबसे अधिक ऑक्सीजन के लिए ही हाहाकार मचा हुआ था ऑक्सीजन हमें पेड़ों से ही मिलते हैं जो पृथ्वी पर न्यूनतम से भी न्यूनतम स्थिति में है पर्यावरण प्रदूषण रूपी विश्वव्यापी जटिल समस्या से मुक्ति पृथ्वी पर हरियाली बढ़ाने से ही मिलेगी इसलिए कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही श्रीमती सुधा गुप्ता जी ने लोगों से आग्रह किया कि जितना भी हो सके हमें पृथ्वी पर हरियाली को बढ़ाने के लिए पेड़ों की सुरक्षा का मुकम्मल प्रबंध करने के बाद अधिक से अधिक रोपण करने के साथ-साथ उनकी 3 वर्ष तक देखभाल करने पर भी जोर दिया है सुधा गुप्ता जी ने आगे कहा कि हमारे बिना पेड़ तो जीवित रह लेंगे लेकिन पेड़ के बिना हम जीवित नहीं रह पाएंगे इसलिए पेड़ों को लगाने के साथ-साथ उनकी चिंता भी करनी होगी ।
सुधा गुप्ता जी ने आगे कहा कि नारी ने सदैव अपने कार्य और बलिदान से समाज ,देश और मानवता को आलोकित किया है अमृता देवी ने 1730 अपने प्राणों का बलिदान देकर के मानव जाति को बचाने का पवित्र कार्य किया था * पर्यावरण बलिदानी अमृता देवी की स्मृति में 71 नारी शक्तियों की पर्यावरण संरक्षण के लिए कार्य करने के लिए टीम खड़ी करने का संकल्प भारतीय महिला शिक्षण संस्था की संस्थापिका उर्मिला मिश्रा जी ने लिया कार्यक्रम का शुभारंभ, विश्व शांति के लिए वैदिक मंत्रोचार, के साथ ही प्रारंभ हुआ। कार्यक्रम में वरिष्ठ उपाध्यक्ष शीला सिंह जी, उपाध्यक्ष रजनी सिंह जी, विमला चतुर्वेदी जी, सरोज सिंह जी, शांभवी जी, सावित्री जी इंदिरा जी, बीनाजी, दिव्या जी सहित अन्य सभी उपस्थित सदस्यों ने प्रकृति अर्थात पर्यावरण को बचाने का संकल्प लिया। कार्यक्रम का का संचालन उर्मिला मिश्रा जी ने किया और कार्यक्रम में उपस्थित सभी सम्मानित सदस्यों का आभार भी व्यक्त किया