अमर शहीद अशफाक उल्ला खां की 125वीं जयंती पर अधिवक्ताओं ने किया नमन, श्रद्धांजलि अर्पित

Shwetabh Singh
Shwetabh Singh
2 Min Read

वाराणसी. अमर शहीद अशफाक उल्ला खां का 125वां जन्मदिन बुधवार को कचहरी में अधिवक्ताओं ने बड़े ही श्रद्धाभाव के साथ मनाया. बनारस बार के पूर्व महामंत्री व समाजसेवी नित्यानन्द राय के नेतृत्व में अधिवक्ताओं ने शहीद अशफाक उल्ला खां के चित्र के सामने मोमबत्ती जलाकर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किया. इस अवसर पर ‘अशफाक उल्ला खां अमर रहे’, ‘जबतक सूरज चांद रहेगा अशफाक उल्ला खां का नाम रहेगा’ के गगनभेदी नारे लगाए गए.

 

सभा को सम्बोधित करते हुए बनारस बार के पूर्व महामंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि अशफाक उल्ला खां शाहजहांपुर के रहने वाले थे. वे तैराकी, घुड़सवारी, क्रिकेट, हॉकी खेलने तथा बंदूक चलाने में प्रवीण थे. पं. रामप्रसाद बिस्मिल से उनकी बचपन से ही गहरी दोस्ती थी. वे एक बहुत अच्छे कवि भी थे.

नित्यानंद राय ने बताया कि फांसी पर चढ़ने से पहले शहीद अशफाक उल्ला खां ने वहां मौजूद लोगों से कहा था, “मेरे हाथ इंसानी खून से कभी नहीं रंगे, मेरे ऊपर जो इल्जाम लगाया गया वह गलत है, खुदा के यहां मेरा इंसाफ होगा.” इसके बाद भारत माँ का यह वीर सपूत गले में फंदा डाल खुदा का नाम लेते हुए इस दुनिया से कूच कर गया. राय ने कहा, “हम देश के नौजवान आपके इस अमर बलिदान को सदैव याद रखेंगे.”

उन्होंने शहीद अशफाक उल्ला खां की अमर लाइनें भी पढ़ीं जो उन्होंने फैजाबाद जेल में 19 दिसम्बर को फांसी का फंदा चूमने से पहले लिखी थीं.

 

“कुछ आरजू नहीं, मगर आरजू तो ये है,

लाकर जरा सी रख दो खाके वतन कफन पे। !!!”

काकोरी के इस अमर सपूत को याद करने वालों में बनारस बार के पूर्व महामंत्री नित्यानंद राय के साथ विनोद पांडे भैयाजी, आशीष सिंह, ऋषिकांत सिंह, सर्वजीत सिंह, प्रवीण दीक्षित, अनुपम सिंह, रजत उपाध्याय, अभिषेक चौबे मोनू, मनोज कुमार वर्मा आदि अधिवक्तागण मौजूद रहे.

Share This Article
Leave a comment