वाराणसी। आज अस्सी घाट पर नवसंवत्सर समिति द्वारा ‘हिंदू नववर्ष’ के भव्य स्वागत एवं अभिनंदन का कार्यक्रम सकुशल संपन्न हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ पाणिनि विद्यालय की बालिकाओं द्वारा मंगलवाचन एवं सभी संस्थाओं के संस्था प्रमुख द्वारा नव कलश पर दीप प्रज्जवलित कर हुआ ।
कार्यक्रम में काशी की प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य शालिनी खरे जी ने भारतीय नव संवत्सर पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारत में कालगणना अर्थात नव संवत्सर देवी आराधना से शुरू होती है जो दुनिया में कहीं नहीं होता।
इसी कार्यक्रम में ममता द्विवेदी ने कहा कि ब्रह्मा जी ने इसी दिन संपूर्ण सृष्टि एवं लोगों का सृजन किया था। कविता मालवीय ने कहा कि इस समस्या का नाम पिंगल है सुनीती शुक्ला ने बताया कि हमारा की नव संवत्सर कल्याण का संदेश देता है डॉक्टर सरिता सिंह ने कहा कि आंग्ल
नव वर्ष के साथ-साथ भारतीय नव संवत्सर का प्रयोग प्रशासन विश्वविद्यालयों ,विद्यालय और अन्य प्लेटफार्म पर भी होना चाहिए डॉ सुनीता डोंगरी ने बताया कि यह संवत्सर महिलाओं के वर्चस्व वाला होगा ऐसा पंचांग करता है। पुष्पा दीक्षित ने कहा कि हमारा नव संवत्सर विश्व के कल्याण का संदेश देता है। अंजू जी ने बताया कि भारतीय नव संवत्सर भारत के काल गणना का भाव दर्शाता है।
कविता मालवीय का कहना है कि हम अपना भारतीय नव संरक्षण मना रहे हैं और हम सब सनातनी हैं पूरी सृष्टि में जहां कहीं भी जिओ है जिसको हम समझ पाते हैं वह सब एक ही ब्रह्म के द्वारा बनाए गए हैं उसी संदेश को देने के लिए सनातन धर्म द्वारा मनाया गया मानव का संरक्षण पूरे ब्रह्मांड का संरक्षण करने वाला नव वर्ष प्रकृति भी भारत में संदेश दे रही है इसको देखते हुए उत्सव मनाया जा रहा है जो मानवता की रक्षा करने वाला एक नया वर्ष होगा
भारती मिश्रा का कहना है कि बच्चे बच्चे तक भारतीय नव वर्ष की नवसंवत्सर की गूंज जाए और वह सोचने पर विवश हो हमारा अपना भी नव वर्ष है और सभी मातृ शक्तियों को इकट्ठा किया गया है भारतीय परंपरा अनुसार स्वागत और अभिनंदन करें टीका लगाकर रंगोली बनाकर भगवान विष्णु की स्तुति करके और आज ही के दिन ब्रह्मा के द्वारा पृथ्वी का नव वर्ष प्रारंभ हुआ था
भाजपा नेत्री नीना चौबे ने कहा कि भारतीय नव संवत्सर भारतीय जनता में राष्ट्रप्रेम जागृत करने का अद्भुत माध्यम है। लॉ कॉलेज की डायरेक्टर बिपाशा गोस्वामी ने कहा कि विक्रम संवत ईसा पूर्व 57 वर्ष से प्रारंभ हुआ डॉ माधुरी पांडे ने बताया कि बृहद संहिता में नव संवत्सर सप्तऋषि और नक्षत्र को जोड़कर देखा जाता है।
समाजसेविका प्रतिभा जी ने कहा कि भारत का नव संवत्सर सिर्फ एक देश का नहीं बल्कि देश के सीमाओं को पार करके भी है। समाज सेविका बिना जी ने बताया कि भारतीय नव संवत्सर की काल गणना पूर्णता वैज्ञानिक सांस्कृतिक और समरसता का प्रतीक है । डॉ. भारती मिश्रा ने कहा कि नव संवत्सर भारत का गौरव भारतीय एकात्मता और विश्व दृष्टि का परिचायक है। समाज सेविका प्रियंका ने बताया कि प्रकृति भी नव संवत्सर को स्वीकार करती है । वृक्षों में नव पल्लव का आगमन एवं प्रकृति हरितमा इसका संकेत है।
वक्ताओं के उद्बोधन के पश्चात तुलसीदास रचित रामचरितमानस के बालकांड के छंद ‘जय जय सुरनायक जन सुखदायक प्रनतपाल भवंता’ का सामूहिक पाठ किया गया। इस स्तुति में देवताओं ने मिलकर सृष्टि के पालनकर्ता भगवान विष्णु की आराधना की है जिसके पश्चात विष्णु जी राम अवतार के रूप में नवमी तिथि के अवतरित होते हैं।
स्तुति के पश्चात समस्त मातृशक्ति द्वारा दो संकल्प लिए गए ।पहला संकल्प इस नववर्ष को वृहद से वृहत्तर रूप में मनाने एवं जन-जन तक पहुंचाने का तथा दूसरा जल दिवस के अवसर पर जल संरक्षण एवं संचयन का ।
कार्यक्रम में काशी 50 से अधिक संगठन स्वयं सहायता समूह आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों सहित लगभग दो हजार मातृशक्ति की सहभागिता थी। कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत समिति सुनीति शुक्ला एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ शारदा सिंह, कविता मालवीय, डॉ भारती मिश्रा ने दिया, कार्यक्रम में भाजपा नेत्री मीना चौबे माधुरी ,नीतू ,आरती ,सीमा, प्रतिमा उर्मिला ,शीला ,माया ,अंजलि अरोड़ा न सुजाता, वाणी भारद्वाज, उमा शर्मा ममता तिवारी प्रतिमा सिंह नीलम गुप्ता प्रीति अग्रवाल प्रीति बजरिया उषा जगन्नाथ जी मंजुला त्रिपाठी पूनम सिंह आदि उपस्थित थे.
फोटो:वीडियो: अशोक पाण्डेय (उत्तम सवेरा न्यूज़, मीडिया प्रभारी, उत्तर प्रदेश)