वाराणसी | सर सुंदरलाल चिकित्सालय का चिकित्सा अधीक्षक जिनके ऊपर 2015 में जांच कमेटी द्वारा करोड़ों रुपए के हेराफेरी का आरोप लगाते हुए पद से हटा दिया गया था उसके बावजूद इन्हें चिकित्सा अधीक्षक बना दिया गया तभी से दलाली और भ्रष्टाचार डॉक्टरों की मनमानी चरम सीमा पर पहुंच गई इसी सब का नतीजा है एमबीबीएस डॉक्टर घूम रहे हैं 12वीं पास इलाज कर रहे हैं जो बहुत ही शर्मनाक
सर सुंदरलाल चिकित्सालय व ट्रामा सेंटर में मरीज को भर्ती होने पर या ओपीडी में दिखाने पर चिकित्सकों द्वारा दवा की दुकान का नाम बता कर वहां भेजा जाता है महंगी जांच के लिए बाहर भेजा जाता है भारत सरकार डॉक्टरों को प्राइवेट प्रैक्टिस ना करने के लिए अलग से 20% से लेकर 35% तक अलग से भक्ता देती है
इसके बावजूद सुबह शाम 1000 से लेकर 1500 लेकर बाहर भी मरीज देखते हैं कुछ चिकित्सक अपने ओपीडी से मरीज ले जाकर प्राइवेट अस्पताल में भर्ती करते हैं और ऑपरेशन भी करते हैं कुछ अपना क्लिक भी खोल रखा है जो सबसे बड़ा भ्रष्टाचार है ट्रामा सेंटर में ऑपरेशन के दौरान लगने वाला राड सर सुंदरलाल हॉस्पिटल में सर्जरी के दौरान लगने वाली महंगी महंगी दवाइयां और टांके चिकित्सा द्वारा कमीशन के लालच में बाहर से मंगवाई जाती हैं
सर सुंदरलाल हॉस्पिटल में आईसीयू के अभाव में बहुत अधिक संख्या में मरीजों की मृत्यु हो जाती है या प्राइवेट अस्पताल में जाने पर लाखों रुपए का दोहन हो जाता है इसलिए ICU की संख्या बढ़ाई जाए मरीज के परिजनों को स्वतंत्र भारत में दवा खरीदने की भी आजादी होनी चाहिए और चिकित्सा अधीक्षक केके गुप्ता को जल्द से जल्द पद से हटाया जाए
यही जनहित का मुद्दा लेकर कुलपति महोदय को ज्ञापन देने गए कुलपति के अनुपस्थिति में कुलपति ऑफिस में कर्लक ने रिसीव किया
वीडियो: अशोक पाण्डेय (उत्तम सवेरा न्यूज़, मीडिया प्रभारी, उत्तर प्रदेश)